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Dakshin Bharat ki Ganga Kise Kahte Hai? | दक्षिण भारत की गंगा किसे कहते है?

आज हम आपको बतायेंगे की Dakshin Bharat ki Ganga Kise Kahte Hai और साथ ही साथ यह भी बतायंगे की Kaveri Nadi ko Dakshin Bharat ki Ganga क्यों कहा जाता है। गंगा नदी एक ऐसा शब्द जिसके सुनते ही हमारे मन में पवित्रता और सादगी का अनूठा अनुभव होता है , एक ऐसी नदी जो उत्तर भारत के लिए किसी जीवन रेखा से कम नहीं है । यही समान मनोभाव दक्षिण के लोगो का “कावेरी नदी” की ओर है, कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा भी कहा जाता है । तो आइए सबसे पहले कावेरी नदी के बारे में जानते है। आपसे अनुरोध है कि इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें ताकि कावेरी नदी के बारे आप सम्पूर्ण जानकारी हासिल कर सकें ।

Kaveri Nadi in Hindi – कावेरी नदी की सम्पूर्ण जानकारी

कावेरी नदी का उद्द्गम स्थान ( Origin of Kaveri ) :

कावेरी कर्णाटक ओर तमिलनाडु में बहने वाली एक सदाबहार प्रायद्वीपीय नदी है। Dakshin Bharat ki Ganga क्यों ककावेरी नदी कि घाटी धान उत्पादन के लिए काफी प्रसिद्ध है , इसलिए इसे ‘ दक्षिण भारत का धान का कटोरा ‘ भी कहा जाता है । कर्नाटक राज्य के कोडागु जिले के कुर्ग के पास ब्रह्मगिरि पर्वत पर तालकावेरी इसका उद्गम स्थान (starting point/origin) है। इसकी लम्बाई करीब 805 किलोमीटर है। जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफ़ल का लगभग 2.7 प्रतिशत है। अंत में दक्षिण पूर्व दिशा में कवेरीपत्तनम के पास बंगाल कि खाड़ी में विलीन हो जाती है।

कैसे हुवा कावेरी नदी का जन्म ( How Kaveri got his name):

कावेरी नदी के जन्म को लेकर एक कथा बहुत प्रसिद्ध है । एक कथा के अनुसार कावेरी को अगस्त्य ऋषि ने कैलाश पर्वत से लाया था। कथा कुछ इस प्रकार है कि – एक बार दक्षिण भारत में भयंकर सूखा पड़ा । बच्चे , बूढ़े , औरतें , और युवक- युवतियां सभी भूख से मरने लगे । यह सब देखर अगस्त्य ऋषि काफी विचलित थे , इसलिए मानव जाती को बचाने के लिए वे ब्रम्हा जी के पास गए । तब ब्रम्हा जी ने उन्हें कहा कि , ” यदि वह कैलाश पर्वत से जल लेकर जाएँ तो दक्षिण में एक नदी का उद्गम हो सकता है और लोगों को इस सूखे जैसे विपदा से छुटकारा मिल जायेगा ।

यह सुनकर अगस्त्य ऋषि कैलाश पर्वत कि ओर चले गए वहां बर्फीला जल लिया और दक्षिण भारत कि और लौट गए । नदी के लिए उचित उद्गम स्थान कि खोज करते -करते वे काफी थक गए ,जब वे कुर्ग के पास पहुंचे तब उन्होंने विश्राम करने का निश्चय किया । वे कमंडल को नीचे रखकर जैसे ही विश्राम करने बैठे तभी एक कौवा कमंडल पर बैठने लगा जिससे कमंडल का जल भूमि पर गिर गया । जिससे अगस्त्य ऋषि काफी क्रोधित हुए । तभी गणेशजी वहां प्रकट हुए और उन्होंने अगस्त्य ऋषि से कहा , ” यह स्थान नदी के उद्गम के लिए सबसे उपयुक्त है , इसलिए मैं कौवे का रूप धारण कर तुम्हारी मदद के लिए चला आया । यह सुनकर ऋषि काफी प्रसन्न हुए और गणेशजी अंतर्ध्यान हो गए ।

कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा क्यों कहा जाता है? (Kaveri Nadi ko Dakshin Bharat ki Ganga Kyu Kaha Jata Hai)

Kaveri Nadi ko Dakshin Bharat ki Ganga Kyu Kaha Jata Hai इस प्रश्न का उत्तर सवयं कावेरी नदी खुद है। कावेरी नदी दक्षिण भारत में वही सम्मान है जो उत्तर भारत में गंगा नदी का। उद्गम से लेकर विलीन होने तक कावेरी नदी दक्षिण भारत के कई बड़े बड़े शहर और महानगर से जुडी हुई है। इस नदी के किनारे कई तीर्थ स्थान और अनगिनत मंदिर है। कावेरी नदी के पवित्र जल ने न जाने कितने ही वीर सपूतों, संतों, राजाओं और कवियों को जन्म दिया है।

दक्षिण संगीत में जान फूंकने वाले महान संत त्यागराज , श्यामा शास्त्री , और मुत्ताय दीक्षित इसी कावेरी नदी के तट पर निवास करते थे। कावेरी के उद्गम स्थान पर हर वर्ष 17 अक्टूबर को उत्सव मनाया जाता है और इस दिन कावेरी कि विशेष पूजा-अर्चना होती है। कावेरी नदी के उद्गम स्थान पर एक मंदिर है , और मंदिर के भीतर देवी कावेरी, ऋषि अगस्त्य और गणेशजी कि प्रतिमा स्थपित है जहाँ देवी कावेरी कि नित्य पूजा होती है। इसी आस्था के आधार पर कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा कहा जाता है।

दक्षिणी गंगा और दक्षिण भारत की गंगा में अंतर:

कही बार आप confuse हो जाते होंगे और सोचते होंगे की Dakshini Ganga और Dakshin Bharat ki Ganga दोनों एक ही नदी को कहा जाता है लकिन ऐसा नहीं है दक्षिणी गंगा और दक्षिण भारत की गंगा दोनों अलग अलग नदी को कहा जाता है।

कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा कहा जाता है।

जबकि

गोदावरी नदी को दक्षिणी गंगा कहा जाता है।

Dakshin Bharat ki Ganga

कावेरी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :

  • कावेरी को तमिल भाषा में ‘ पोन्नी ‘ के नाम से जाना जाता है ।
  • महाकवि कम्बन ने विश्वप्रसिद्ध रामायण की रचना कावेरी नदी के तट पर ही की थी ।
  • विजयनगर साम्राज्य के विस्तार और विघटन को कावेरी नदी ने काफी नजदीक से देखा है और टीपू सुल्तान भी इसी नदी के तट पर अंग्रेज़ों के विरुद्ध लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए थे ।
  • कावेरी प्रदेश में एक प्रतापी राजा हुए जिनका नाम राजराजन था । उन्होंने श्रीलंका , बर्मा और मलया तक साम्राज्य विस्तार किया । उनके पास एक विशाल नौसेना थी । उन्होंने कई भव्य मंदिरों का भी निर्माण करवाया । उनकी एक उपाधि है , ” पोन्निविन शेलवन ” जिसका अर्थ है ” सुनहरी कावेरी का लाडला बेटा ” ।
  • 16 वर्ष की आयु में सम्पूर्ण देश-भर में शैव धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले संत ज्ञानसंबंधर इसी कावेरी नदी के तट पर हुवे थे ।

नदी पर हैं कई प्रमुख बांध ( Dams on the Kaveri River )

कर्णाटक में खेतों की सिंचाई के लिए कावेरी पर बने सबसे बड़े बांधों में से एक कण्णम्बाड़ी बाँध है। इस बाँध की वजह से यहाँ एक जलाशय का निर्माण हुआ है जिसे हम ” कृष्णराज सागर ” के नाम से जानते हैं । यह मैसूर नगर के निकट ही स्थित है। जलाशय के नजदीक ही एक सुन्दर उपवन भी है , जिसकी भव्यता और सौंदर्य का आधार पवित्र कावेरी ही है ।

एक और प्रसिद्ध बांध कल्लाणी बांध कावेरी नदी पर स्थित है , जिसे चोल साम्राज्य के राजा करिकालन ने बनाया था । इस बाँध की लम्बाई 329 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर है । और अन्य प्रमुख बांधों में मेट्टूर बांध , गोरूर बांध , हरंगी बांध , काबिनी बाँध , अमरावती बांध और बाणासुर सागर बाँध शामिल हैं ।

कावेरी कि सहायक नदियां ( Kaveri ki sahayak Nadiyan ) :

कावेरी एक लम्बी नदी है , जिसमे कई छोटी-बड़ी नदियों का संगम होता है। जिनमे शिमसा , अर्कावती , हेमवती , अमरावती , काबिनी , भवानी , लक्ष्मणतीर्थ और लोकपावनी नदियां प्रमुख हैं । जहाँ भारत कि अधिकाँश नदियां मौसमी हैं , अर्थात उन नदियों में मौसम के अनुसार जल की मात्रा उपलब्ध रहती है , वहीँ इसके विपरीत कावेरी में वर्ष भर जल की मात्रा बानी रहती है । शायद यही कारण है की कर्णाटक और तमिलनाडु के लोग इस नदी पर इतना निर्भर करते है और उनके बीच परस्पर इसके जल को लेकर विवाद होता रहता है ।

क्या है कावेरी जल विवाद ( Conflict of Kaveri Water ) :

कावेरी जल विवाद 3 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश ( kerala, tamilnadu , karnataka and Puducheri ) के बीच है । इस विवाद की उत्पत्ति आज से 150 वर्ष पूर्व 1892 और 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर के बीच हुवे समझौते से हुई। वर्ष 1974 कर्णाटक राज्य ने बिना तमिलनाडु की सहमति लिए अपने चार जलाशयों में पानी को मोड़ना शुरू क्र दिया , जिससे इस विवाद का जन्म हुआ और कई हिंसक घटनाएं भी हुई । इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय 2018 में आया , जिसमे न्यायलय ने कावेरी को राष्ट्रीय संपत्ति ( National Property ) घोषित कर दिया । सर्वोच्च न्यायलय ने अपने निर्णय में निम्नलिखित आदेश दिए :-

  1. सर्वोच्च न्यायालय ( Supreme Court ) के आदेशानुसार , कावेरी से कर्णाटक को 284 .75 हजार मिलियन क्यूसिक फ़ीट (tmcft ) ,तमिलनाडु को 404 .25 tmcft , केरल को 30 tmcft और पुडुचेरी को 7 tmcft जल प्राप्त होगा।
  2. न्यायलय ने केंद्र सरकार को कावेरी प्रबंधन योजना ( Cauvery Management Scheme )को लागू करने का आदेश दिया । सरकार ने कावेरी प्रबंधन योजना को अधिसूचित किया , जिसके बाद ‘ कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ( Cauvery Water Management Authority ) ‘ और ‘ कावेरी जल विनियमन समिति ( Cauvery Water Regulation Committe ) ‘ का गठन किया गया ।

मुझे आशा है आपलोगों को Dakshin Bharat ki Ganga कही जानी वाली ” कावेरी नदी ” के बारे काफी रोचक जानकारियां प्राप्त हुई होंगी । इसी तरह के और भी आर्टिकल के लिए बने रहिये gyanbag.com के साथ ।

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